जाओ
तुम आजाद हो
मैं तुम्हें मुक्त करती हूं
यह दिन है
हम सबकी आज़ादी का
हम दोनों आज़ाद हैं
तुम कहीं जाओ
किसी के साथ रहो, सोओ
मैं भी रहना चाहती हूं
ऐसी ही आज़ादी में
बहुत हुआ यार
यह बंधनों में जकड़ा हुआ रिश्ता
अब हम एक खुला रिश्ता चाहते हैं
आज़ाद हो तुम
और आज़ाद हूं मैं
तमाम वर्जनाओं से
समाजी बंधनों से
मानसिक वेदनाओं से
अनजानी घुटन से
जाओ
आज इस आज़ादी के दिन
मैं तुम्हें आज़ादी देती हूं
Saturday, August 15, 2009
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जाओ
ReplyDeleteतुम आजाद हो
मैं तुम्हें मुक्त करती हूं..etna asaan nahi hota....yado se mukat hona..kahne ki baat hai....achhi kavita...
bahut sunder . blog jagat men swagat.
ReplyDeletekyaa baat hai....aisi aajaadi...darasal bheetar ke aseem pyaar kaa ghyotak hai...ek acchhi rachna ke liye aapko aabhaar...!!
ReplyDeleteभई गज़ब है...
ReplyDeleteहज़म करना थोडा़ मुश्किल हो रहा है...
कभी तो हम एक प्यारे से बंधन को चाहते तो कभी मुक्ती ..दोनों की अपनी एहमियत होती है कुछ पाना है ,तो कुछ खोना भी पड़ता है.. ..अपने ही उसूलों पे चलना है तो उसकी क़ीमत भी वैसे ही चुकानी पड़ती है ...
ReplyDeleteIf you have the courage of conviction..और दिशा सही है,तो ,कारवाँ बन जा सकता है, वरना तन्हाई ही तन्हाई होगी..
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ममताजी ,
ReplyDeleteआपने आजादी की अच्छी व्याख्या करी है।
स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामानाऍ
आभार
हे प्रभू यह तेरापन्थ
मुम्बई टाईगर
बेहतर प्रारंभ,स्वागत है।
ReplyDeleteचिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......
ReplyDeleteआप हिन्दी में लिखती हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं
बहुत सुन्दर कोमल मन की अभिवयक्ति साथ में बहुत सारी शुभकामनाये आप इस ब्लॉग जगत में नियमित लिखते रहे
ReplyDeleteआप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
ReplyDeleteलिखते रहिये
चिटठा जगत मे आप का स्वागत है
गार्गी
अच्छी रचना स्वतन्त्र कर दिया
ReplyDeletebahut hi sundar
ReplyDeleteboss tussi to chha gaye.....aajadi mubarak ho ...!! i m impressed with ur thoughts....kep it up n up n up ..........mere blog par swagat rahega....
ReplyDeleteJai HO Mangalmay Ho
प्रेम में आजादी में नही वरन बंधन में सुखद अहसास होता है। एकबार आजाद हो जाने से जिंदगी भर परतंत्रता की कामना रहती है।
ReplyDeleteइस स्वाधीनता दिवस पर कामनाओं को आजाद करो न कि साथी को।