Sunday, August 9, 2009

कितनी ग़लत बात है ना

जब तुम नहीं आते
मैं राह तकती रहती हूं तुम्‍हारी
और मेरे ना आने पर तुम

कब तक हम यूं ही राहें तका करेंगे
कब तक यह सिलसिला चलेगा

तुम मेरे हो
मैं तुम्‍हारी
बस कहने भर के लिए ही ना
कब तुम
संपूर्ण मेरे होओगे
और कब मैं तुम्‍हारी

ये मिलना
और बिछुड़ना
कब खत्‍म होगा

कभी तो होगा ही खत्‍म
मैं उस दिन का इंतजार करूंगी
पर तुम्‍हारा नहीं
और कहती हूं तुमसे
तुम भी ना करना

फल
प्रतीक्षा के ही मीठे होते हैं

7 comments:

  1. ब्लोग जगत पे आपका स्वागत है, आशा है की अपने लेखन से हिन्दी ब्लोग जगत को नंई ऊचांई तक ले जायेगीं। आपकी रचना लाजवाब है। ऐसे हि लिखती रहें, अगले अंक का इंतेजार रहेगा।

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  2. आईये, इस बेहतरीन रचना के साथ आपका हिन्दी चिट्ठाकारी परिवार में स्वागत करते हैं. नियमित लिखिये. अनेक शुभकामनाऐं.

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  3. इस लाजवाब रचना के लिए आप बधाई की पात्र हैं...ब्लॉग जगत में शानदार और भावपूर्ण प्रवेश...स्वागत है...वाह...
    नीरज

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  4. बहुत अच्चा लिखा है,बलोग जगत मे सुन्दर रचना के साथ प्रवेश

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  5. फल
    प्रतीक्षा के ही मीठे होते हैं
    बेहतरीन रचना और सुन्दर अभिव्यक्ति प्रदान की है आपने. स्वागत है

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  6. bahut bahut khubsoorat bhaaw hai jisame komalata kut kut kar bhare pade hai.....badhaaee

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  7. milna bichhadna taqdeer ki baat hai....achhe bhawo se bhari racna..

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