जब तुम नहीं आते
मैं राह तकती रहती हूं तुम्हारी
और मेरे ना आने पर तुम
कब तक हम यूं ही राहें तका करेंगे
कब तक यह सिलसिला चलेगा
तुम मेरे हो
मैं तुम्हारी
बस कहने भर के लिए ही ना
कब तुम
संपूर्ण मेरे होओगे
और कब मैं तुम्हारी
ये मिलना
और बिछुड़ना
कब खत्म होगा
कभी तो होगा ही खत्म
मैं उस दिन का इंतजार करूंगी
पर तुम्हारा नहीं
और कहती हूं तुमसे
तुम भी ना करना
फल
प्रतीक्षा के ही मीठे होते हैं
Sunday, August 9, 2009
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ब्लोग जगत पे आपका स्वागत है, आशा है की अपने लेखन से हिन्दी ब्लोग जगत को नंई ऊचांई तक ले जायेगीं। आपकी रचना लाजवाब है। ऐसे हि लिखती रहें, अगले अंक का इंतेजार रहेगा।
ReplyDeleteआईये, इस बेहतरीन रचना के साथ आपका हिन्दी चिट्ठाकारी परिवार में स्वागत करते हैं. नियमित लिखिये. अनेक शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteइस लाजवाब रचना के लिए आप बधाई की पात्र हैं...ब्लॉग जगत में शानदार और भावपूर्ण प्रवेश...स्वागत है...वाह...
ReplyDeleteनीरज
बहुत अच्चा लिखा है,बलोग जगत मे सुन्दर रचना के साथ प्रवेश
ReplyDeleteफल
ReplyDeleteप्रतीक्षा के ही मीठे होते हैं
बेहतरीन रचना और सुन्दर अभिव्यक्ति प्रदान की है आपने. स्वागत है
bahut bahut khubsoorat bhaaw hai jisame komalata kut kut kar bhare pade hai.....badhaaee
ReplyDeletemilna bichhadna taqdeer ki baat hai....achhe bhawo se bhari racna..
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